इस सेक्सी भाभी की कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे पड़ोस की एक भाभी के घर होली खेलने गया तो भैया ने दारू पीने बिठा लिया. उनको चढ़ गयी और भाभी से मेरी बात होने लगी.बात करते करते उन्हें चोद दिया
दोस्तो, मेरा नाम रियाज़ है. यह मेरा वास्तविक नाम नहीं है.
मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ. मैं अच्छी लम्बाई और ठीक-ठाक से शरीर का मालिक हूँ.
मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई भी इतनी है कि मैं किसी भी औरत या लड़की को पूरी तरह से संतुष्ट कर सकता हूँ.
सेक्स कहानियाँ मैं बहुत सालों से पढ़ रहा हूँ
तो मुझे भी लगा कि मुझे अपनी सेक्स कहानी लिखना चाहिए.
मैं जहां रहता हूँ, उसी से थोड़ी दूर पर एक भाभी रहती हैं.
मेरा उनके घर बहुत पहले से आना जाना था.
भाभी का नाम निशा है. यह बदला हुआ नाम है.
जब भाभी शादी के बाद यहां आईं तो वे मुझे बहुत अच्छी लगीं.
मैं मन ही मन उन्हें पसंद करने लगा.
लेकिन मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं जाकर उनसे अपने दिल की बात कह सकूँ.
ऐसे ही समय गुजरता रहा.
फिर शायद ऊपर वाले की मेहरबानी हुई और मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ कि भाभी भी मेरे प्यार में पड़ गईं.
यह बात होली की है.
होली के दिन मैं उनके यहां रंग खेलने गया
मैं हर होली में उनके घर जाता था तो उस दिन भी गया था.
उस समय मैंने थोड़ी सी ड्रिंक कर ली थी.
मैं कभी कभी ही पीता हूँ तो उस दिन मैं कुछ नशे में हो गया था.
उनके घर में भैया और उनके दो दोस्त भी थे.
भैया ने मुझे साथ बैठ कर ड्रिंक लेने की बात कही तो मैं मना ही न कर सका.
घर से ही दो पैग लेकर आया था और इधर वापस ड्रिंक करने बैठ गया था.
हम चारों ने दारू पीना शुरू कर दिया.
शाम को पीना हुआ और बातों ही बातों में कब रात हो गयी, पता ही नहीं चला.
उनके दोनों दोस्त चले गए.
अब मैं और भैया ही रह गए थे.
नशा भी बहुत ज़्यादा हो गया था.
भैया तो एकदम टुन्न थे, उन्हें कुछ होश ही नहीं था.
वे सोफ़े की पुश्त पर अपना सर टिकाए पड़े थे.
थोड़ी देर बाद भाभी भी आ गईं और मेरी बगल में बैठ गईं.
उन्होंने भैया को देख कर कहा- लो इनके तो टॉवर ही फेल हो गए.
मुझे भाभी की इस बात पर हंसी आ गई और मैंने कह दिया- अरे भाभी, मेरे टॉवर तो आ रहे हैं … आप क्यों चिंता कर रही हैं!
नशे की टुन्नी में मैंने क्या कह दिया था, मुझे खुद भी होश नहीं था.
भाभी ने कहा- अब तुम्हारे टॉवर आ रहे हैं तो इनको लिटाने में मेरी मदद करो.
मैंने और भाभी ने मिलकर भैया को सहारा देकर उठाया और उन्हें बेड पर लिटा दिया.
भाभी बेड के किनारे पर लेट गईं और मैं भाभी के बगल में कुर्सी पर बैठ गया था.
भाभी ने नीले कलर की मैक्सी पहनी हुई थी और वे बहुत खूबसूरत लग रही थीं.
मुझे काफ़ी नशा हो गया था और भाभी को देख कर ऐसा लग रहा था कि उन्हें वहीं बेड पर सीधा लेटा कर उनको चोद दूँ!
लेकिन मैं मजबूर था.
तभी भाभी का पैर मेरे लंड से टच हुआ.
तो मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया.
मैंने सोचा कि शायद अनजाने में हुआ होगा.
लेकिन जब तीन चार बार ऐसा हुआ तो मुझे लगा शायद भाभी लाइन दे रही हैं.
मैंने भी उनके पैर को अपने दोनों पैरों के बीच पकड़ लिया.
अब भाभी मेरी तरफ देख रही थीं और अपने पैर को छोड़ने के लिए आंखों से इशारा कर रही थीं.
शायद नशे में होने के कारण मैं उनके पैर से अपने लंड से रगड़ने लगा और ये सब काफ़ी देर तक चला.
इस बात को लेकर ना तो उन्होंने कुछ कहा और न ही मैंने कुछ कहा.
भैया औंधे पड़े खर्राटे ले रहे थे.
मैंने भाभी की आंखों में देखा.
तो वे भी मुझे ही देख रही थीं.
मैंने अपनी एक आंख दबा दी और वे हंस पड़ीं.
तब मैंने कुछ नहीं देखा बस उठ कर भाभी को बांहों में पकड़ लिया और उनके होंठों पर किस कर लिया.
भाभी मेरी बांहों से छूटने की कोशिश करने लगीं.
उनको भैया के जाग जाने का डर था कि कहीं हम दोनों पकड़े ना जाएं.
मैंने उनको तीन चार किस किए और आगे बढ़ पाता कि भाभी बिस्तर से उठ कर अलग हो गईं.
मैंने उनकी तरफ देखा तो वे जोर से बोलीं- रियाज़, तुमने काफी ड्रिंक कर ली है अब तुम अपने घर चले जाओ.
तब मैंने उन्हें अपनी बांहों में ही लेकर उनसे कहा- क्या मैं कुछ गलत कर रहा हूँ?
वे बोलीं- क्या तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- अपनी प्यारी भाभी को चूम रहा हूँ!
वे मेरे गाल पर अपनी उंगली फेर कर बोलीं- और मुझे चूमने का हक किसका है?
मैंने कहा- किस का हक है और किसका नहीं है, पर मेरा हक तो है!
वे बोलीं- तुम्हारा हक किस तरह से है?
मैंने कहा- देवर का हक है मेरा!
वे हंस दीं और बोलीं- ओके रियाज़ … तुमने बहुत ज्यादा पी ली है, मैं तुम्हें बाद में मौका दूँगी, तब तुम मुझे प्यार कर लेना. अभी तुम जाओ!
मैं समझ गया कि अभी भाभी का मन नहीं है, कहीं मामला बिगड़ न जाए इससे अच्छा है कि निकल लेता हूँ.
तो मैं अपने घर आ गया.
दूसरे दिन सुबह मुझे उनके सामने जाने में शर्म आने लगी कि वे मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी.
दो दिन तक मैं भाभी के पास नहीं गया.
तीसरे दिन मेरे मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आयी.
कॉल रिसीव करने पर पत्ता चला कि ये भाभी का प्राइवेट नंबर था.
मेरे पास भाभी का दूसरा नंबर था.
हम दोनों फ़ोन पर बात करने लगे.
वे कहने लगीं कि क्या हुआ … घर क्यों नहीं आ रहे हो!
मैंने कहा- भाभी, पता नहीं क्यों कुछ गिल्टी सी हो रही है!
वे हंस कर बोलीं- अच्छा अब गिल्टी हो रही है और उस दिन अपने हक को जताते हुए मुझे चूम रहे थे!
मैंने कहा- सॉरी भाभी … वह सब ड्रिंक के कारण हो गया था.
वे बोलीं- अच्छा ड्रिंक की वजह से हो गया था और अगर ड्रिंक न की होती तो शायद तुम वह सब न करते … है न!
मैं सकपका गया कि भाभी क्या कहना चाहती हैं.
मैंने कहा- वह क्या है भाभी कि उस दिन मैंने ड्रिंक करके ही हिम्मत जुटा पाई थी.
इस बात पर भाभी पुनः बोलीं कि हम्म … मतलब जो दिल में था, उसे कहने के लिए तुमको दारू का सहारा लेना पड़ा था?
मैं फिर से चुप हो गया.
मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ और क्या न कहूँ!
अंतत: भाभी ने खुद ही कहा कि मैं तुम्हें पसंद करती हूँ रियाज़ … और तुमने उस दिन जो भी किया था, उससे मुझे कोई दिक्कत नहीं है. तुम अब मेरे घर आ रहे हो या नहीं … यह बताओ!
मैंने कहा- आप मसाले वाली चाय बना कर रखें भाभी … मैं बस अभी आया!
जब मैंने यह कहा तो भाभी ने खुश होकर आने के लिए कहा और फोन कट हो गया.
आज देर तक हम दोनों में बातें हुई थीं और अंततः किसी हद तक हम दोनों के बीच चुदाई की बात सैट हो गई थी.
उस दिन उनके पास चाय पीने गया तो मैंने भाभी का एक अलग ही रूप देखा.
उन्होंने एक घुटने तक आने वाली फ्राक पहन रखी थी जिसमें भाभी की मलाई जैसी जांघें मेरे लौड़े को आग लगा रही थीं.
मैंने उन्हें देखा तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.
वे हँसती हुई बोलीं- यह दारू कैसी लगी!
मैंने कहा- यह तो देसी दारू है भाभी … एकदम से चढ़ गई है.
यह कह कर मैं भाभी के ऊपर झपट पड़ा.
भाभी भी मेरे साथ लिपड़ गई थीं और खुद से कहने लगी थीं- अब रुका नहीं जाता रियाज़ … आज तेरे भैया घर पर नहीं हैं … तुम अपनी भाभी को चोद ही दो.
मैंने भी भाभी की चुदाई करने का फैसला कर लिया.
मैं उन्हें चोदने के लिए गर्म करने लगा कि तभी भाभी का फोन बजने लगा.
यह भैया का फोन था और वे घर वापस आ रहे थे क्योंकि उनकी फ्लाईट छूट गई थी.
मैंने अपने कपड़े ठीक किए और अपने घर आ गया.
उसके बाद दो दिन तक कोई मौका ही नहीं मिला.
भाभी भी घर के अलावा किसी और जगह चुदाई के लिए कह रही थीं.
आखिरकार हम दोनों को चुदाई का मौका मिल गया.
मेरे दोस्त का घर बन रहा था तो होली की वजह से लेबर घर गयी थी और और ठेकदार भी घर गया था.
होली के बाद उसके यहां किसी मौत हो गयी थी, तो वह वहीं रुक गया था.
दोस्त के घर का काम रुक गया था.
उसके घर में एक छत पड़ चुकी थी और बाहर से दरवाजा लग गया था. उस पर ताला लगा था.
मैंने अपने दोस्त से चाबी ले ली और भाभी के साथ उसके प्लाट पर चला गया.
अन्दर जाकर मैंने गेट को अन्दर से लॉक कर लिया और अब भाभी को देखा.
वे पियासी नजरों से मुझे देख रही थीं.
मैंने भाभी को अपनी तरफ खींच कर किस किया और हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को सहलाना, मसलना शुरू कर दिया.
जल्दी जल्दी एक दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए और एक दूसरे को खूब चूमा.
भाभी के दूध सच में जानलेवा थे.
उस दिन पहली बार मैंने भाभी के नंगे चूचे देखे थे.
मैं तो समझो झपट पड़ा था और उनके दोनों दूध मसल कर चूसता व दबाता रहा.
फिर मैंने भाभी को लेटा कर उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और बहुत देर तक चूत को चाटता रहा.
अब भाभी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
उनकी चूत से पानी भी रिस रहा था.
वे छटपटाने लगी थीं और मुझसे अपनी चूत की चुदाई को कहने लगीं.
मैंने उनकी दोनों टांगों को फैलाकर अपने लंड को चूत पर रख दिया और धीरे से अपने लंड को उनकी चूत में पेल दिया.
भाभी ने हल्की सी आह भरी और मैं लौड़े को उनकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ ही देर में मैं उनको दनादन चोदने लगा.
हम दोनों एक दूसरे में खो गए.
कुछ देर बाद मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत चुदाई करने लगा.
करीब दस मिनट बाद मैं और भाभी एक साथ झड़ने लगे.
भाभी सेक्स हिंदी में करने के बाद हम लोग नंगे एक दूसरे की बांहों में लेटे थे.
थोड़ी देर बाद मैंने दूसरा राउंड चालू कर दिया और हम लोग अब चुदाई का मजा लेने लगे.
उसके बाद हम दोनों दोनों ने कपड़े पहने और बाहर निकल आए.
मैंने भाभी को जहां से लिया था, वहीं जाकर छोड़ दिया.
इस तरह मैंने भाभी की दमदार चुदाई की.
आप लोग बताएं कि मेरी पहली भाभी सेक्स हिंदी में कहानी आपको कैसी लगी.
अगली सेक्स कहानी में मैं बताऊंगा कि मैंने भाभी की गांड कैसे मारी.
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